अथर्ववेद (कांड 9)
यद्वा अति॑थिपति॒रति॑थीन्परि॒विष्य॑ गृ॒हानु॑पो॒दैत्य॑व॒भृथ॑मे॒व तदु॒पावै॑ति ॥ (५)
जो अतिथि सत्कार कर्ता अतिथियों को भोजन परोस कर घरों में आता है, वह यज्ञ के पश्चात होने वाले अवभृथ स्नान का फल प्राप्त करता है. (५)
The guest who comes to the houses after serving food to the guests, he gets the fruits of the abbhrith bath after the yajna. (5)