अथर्ववेद (कांड 9)
अ॒मुत्रै॑न॒मा ग॑च्छताद्दृ॒ढा न॒द्धा परि॑ष्कृता । यस्या॑स्ते विचृ॒ताम॒स्यङ्ग॑मङ्गं॒ परु॑ष्परुः ॥ (१०)
हे शाला! हम तेरे दृढ़तापूर्वक बंधे हुए अंगों को अलग कर रहे हैं. जिस ने तेरा निर्माण किया है, उसे तू स्वर्ग प्रदान कर. (१०)
O school! We are separating your firmly bound limbs. Give heaven to the one who created you. (10)