हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 9.7.2

कांड 9 → सूक्त 7 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 9)

अथर्ववेद: | सूक्त: 7
यदाह॒ भूय॒ उद्ध॒रेति॑ प्रा॒णमे॒व तेन॒ वर्षी॑यांसं कुरुते ॥ (२)
जो अतिथि से बारबार भोजन करने की बात कहता है, वह प्राण शक्ति की वृद्धि करता है. (२)
The one who asks the guest to eat again and again increases the vitality. (2)