हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.11.6

मंडल 1 → सूक्त 11 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 11
तवा॒हं शू॑र रा॒तिभिः॒ प्रत्या॑यं॒ सिन्धु॑मा॒वद॑न् । उपा॑तिष्ठन्त गिर्वणो वि॒दुष्टे॒ तस्य॑ का॒रवः॑ ॥ (६)
हे शूर इंद्र! निचोड़े हुए सोमरस के गुणों का वर्णन करता हुआ मैं तुम्हारे धनदानों से प्रभावित होकर वापस आया हूं. हे स्तुतिपात्र इंद्र! यज्ञकर्ता तुम्हारे समीप उपस्थित होने एवं तुम्हारी कार्यकुशलता को जानते थे. (६)
O Shur Indra! Describing the qualities of squeezed somras, I have come back impressed by your wealth. O you of praise Indra! The yajnakars knew your presence near you and your efficiency. (6)