ऋग्वेद (मंडल 1)
विश्वे॑भिः सो॒म्यं मध्वग्न॒ इन्द्रे॑ण वा॒युना॑ । पिबा॑ मि॒त्रस्य॒ धाम॑भिः ॥ (१०)
हे अग्नि! तुम समस्त देवों, इंद्र, वायु एवं मित्र के तेजों के साथ मधुर सोम का पान करो. (१०)
O fire! You should drink the sweet som with the brightness of all the gods, Indra, Vayu and friend. (10)