हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.14.10

मंडल 1 → सूक्त 14 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 14
विश्वे॑भिः सो॒म्यं मध्वग्न॒ इन्द्रे॑ण वा॒युना॑ । पिबा॑ मि॒त्रस्य॒ धाम॑भिः ॥ (१०)
हे अग्नि! तुम समस्त देवों, इंद्र, वायु एवं मित्र के तेजों के साथ मधुर सोम का पान करो. (१०)
O fire! You should drink the sweet som with the brightness of all the gods, Indra, Vayu and friend. (10)