ऋग्वेद (मंडल 1)
अश्वि॑ना॒ पिब॑तं॒ मधु॒ दीद्य॑ग्नी शुचिव्रता । ऋ॒तुना॑ यज्ञवाहसा ॥ (११)
हे पवित्र कर्म करने वाले अश्चिनीकुमारो! प्रकाशमान अग्नि के साथ सोमरस का पान करो. तुम ऋतु.ओं के साथ यज्ञ पूरा करते हो. (११)
O aschinikumaro who do holy deeds! Drink somras with a burning fire. You complete the yajna with seasons. (11)