हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.15.9

मंडल 1 → सूक्त 15 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 15
द्र॒वि॒णो॒दाः पि॑पीषति जु॒होत॒ प्र च॑ तिष्ठत । ने॒ष्ट्रादृ॒तुभि॑रिष्यत ॥ (९)
हे ऋत्विजो! धनदाता अग्नि ऋतुओं के साथ त्वष्टा के पात्र से सोमरस पीना चाहते हैं. तुम यज्ञ करने के पश्चात्‌ अपने स्थान पर चले जाओ. (९)
Hey Ritvijo! The money lenders want to drink somras from the pot of the skin with the fire seasons. Go to your place after you perform the yajna. (9)