हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.157.3

मंडल 1 → सूक्त 157 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 157
अ॒र्वाङ्त्रि॑च॒क्रो म॑धु॒वाह॑नो॒ रथो॑ जी॒राश्वो॑ अ॒श्विनो॑र्यातु॒ सुष्टु॑तः । त्रि॒व॒न्धु॒रो म॒घवा॑ वि॒श्वसौ॑भगः॒ शं न॒ आ व॑क्षद्द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे ॥ (३)
अश्चिनीकुमारो का तीन पहियों वाला मधुवाहक, गतिशील अश्वों से युक्त, प्रशंसित, तीन बंधनों वाला, धनसंपन्न एवं समस्त सौभाग्यो से युक्त रथ हमारे दो पैरो वाले पुत्रादि और चार पैरों वाले पशुओं को सुख प्रदान करे. (३)
Aschinikumaro's three-wheeled honey-bearer, with moving horses, acclaimed, three-bonded, rich and with all the good fortunes, may our two-legged sonadi and four-legged animals beg happiness. (3)