हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.161.2

मंडल 1 → सूक्त 161 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 161
एकं॑ चम॒सं च॒तुरः॑ कृणोतन॒ तद्वो॑ दे॒वा अ॑ब्रुव॒न्तद्व॒ आग॑मम् । सौध॑न्वना॒ यद्ये॒वा क॑रि॒ष्यथ॑ सा॒कं दे॒वैर्य॒ज्ञिया॑सो भविष्यथ ॥ (२)
इस पर अग्नि ने कहा-“सुधन्वा के पुत्र ऋभु.ओ! एक चमस के चार भाग कर लो, यह प्रेरणा देकर मुझे देवों ने तुम्हारे समीप भेजा है. मैं उनकी बात तुम्हें बताने आया हूं. यदि तुम मेरी बताई हुई बात करोगे तो तुम देवों के साथ अंश प्राप्त करोगे.” (२)
To this, Agni said, "Ribhu.o, son of Sudhanva! Divide four parts of a spoon, and by giving this inspiration, the gods have sent me to you. I'm here to tell you what they say. If you speak to me, you will receive a share with the gods." (2)