ऋग्वेद (मंडल 1)
यदश्व॑स्य क्र॒विषो॒ मक्षि॒काश॒ यद्वा॒ स्वरौ॒ स्वधि॑तौ रि॒प्तमस्ति॑ । यद्धस्त॑योः शमि॒तुर्यन्न॒खेषु॒ सर्वा॒ ता ते॒ अपि॑ दे॒वेष्व॑स्तु ॥ (९)
घोड़े का जो कच्चा मांस मक्खियां खाती हैं, जो उसे काटते समय छुरी में लगा रह जाता है, अथवा काटने वाले के हाथों में लगा रह जाता है, वह भी देवों को प्राप्त हो. (९)
The raw meat of the horse that the flies eat, which remains in the knife while cutting it, or in the hands of the one who cuts it, may also be received by the gods. (9)