हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.188.9

मंडल 1 → सूक्त 188 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 188
त्वष्टा॑ रू॒पाणि॒ हि प्र॒भुः प॒शून्विश्वा॑न्समान॒जे । तेषां॑ नः स्फा॒तिमा य॑ज ॥ (९)
त्वष्टा रूपनिर्माण में समर्थ हैं. वे समस्त पशुओं को रूप देते हैं. वे हमारे पशुओं की वृद्धि करें. (९)
Skins are capable of forming. They give form to all animals. They grow our animals. (9)