हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.189.2

मंडल 1 → सूक्त 189 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 189
अग्ने॒ त्वं पा॑रया॒ नव्यो॑ अ॒स्मान्स्व॒स्तिभि॒रति॑ दु॒र्गाणि॒ विश्वा॑ । पूश्च॑ पृ॒थ्वी ब॑हु॒ला न॑ उ॒र्वी भवा॑ तो॒काय॒ तन॑याय॒ शं योः ॥ (२)
हे अति नवीन अग्नि! तुम अतिपूजित यज्ञादि साधनों का सहारा लेकर हमें दुर्गम पापों के पार पहुंचाओ. हमारी नगरी और धरती अत्यंत विस्तृत हो. हमारी संतान को तुम सुख दो. (२)
O new fire! You take the help of over-worshiped sacrificial means to bring us across difficult sins. Let our city and earth be extremely wide. Give happiness to our children. (2)