हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.21.4

मंडल 1 → सूक्त 21 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 21
उ॒ग्रा सन्ता॑ हवामह॒ उपे॒दं सव॑नं सु॒तम् । इ॒न्द्रा॒ग्नी एह ग॑च्छताम् ॥ (४)
हम शन्रुनाशन में क्रूर उन्हीं दोनों को इस सोमरसपूर्ण यज्ञ में बुला रहे हैं. वे इंद्र और अग्नि इस यज्ञ में आवें. (४)
We are calling both of them cruel in shanrunashan to this somarsapoorna yajna. They should come to Indra and Agni in this yajna. (4)