हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.23.4

मंडल 1 → सूक्त 23 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 23
मि॒त्रं व॒यं ह॑वामहे॒ वरु॑णं॒ सोम॑पीतये । ज॒ज्ञा॒ना पू॒तद॑क्षसा ॥ (४)
मित्र और वरुण यज्ञ में प्रकट होने वाले एवं शुद्धबलसंपन्न हैं. हम उन्हें सोमरस पीने के लिए बुलाते हैं. (४)
The friends and Varuna appear in the yajna and are purely strong. We call them to drink somers. (4)