हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.23.5

मंडल 1 → सूक्त 23 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 23
ऋ॒तेन॒ यावृ॑ता॒वृधा॑वृ॒तस्य॒ ज्योति॑ष॒स्पती॑ । ता मि॒त्रावरु॑णा हुवे ॥ (५)
मित्र और वरुण सत्य के द्वारा यज्ञकर्म की वृद्धि करते हैं. और वास्तविक प्रकाश के पालनकर्ता हैं. मैं इन दोनों का आह्वान करता हूं. (५)
Friends and Varuna increase the yagnakarma through truth. and are the adherents of the actual light. I call on both of them. (5)