ऋग्वेद (मंडल 1)
मा नो॑ व॒धाय॑ ह॒त्नवे॑ जिहीळा॒नस्य॑ रीरधः । मा हृ॑णा॒नस्य॑ म॒न्यवे॑ ॥ (२)
हे वरुण! जो तुम्हारा अनादर करता है, तुम उसके लिए घातक बन जाते हो. तुम हमारा वध मत करना. तुम हमारे ऊपर क्रोध मत करना. (२)
Hey Varun! To him who disrespects you, you become deadly to him. Don't you slaughter us. Don't you get angry at us. (2)