ऋग्वेद (मंडल 1)
अथा॑ न उ॒भये॑षा॒ममृ॑त॒ मर्त्या॑नाम् । मि॒थः स॑न्तु॒ प्रश॑स्तयः ॥ (९)
हे अग्नि! तुम अमर हो और हम मनुष्य मरणधर्मा हैं. हम लोग एक-दूसरे की प्रशंसा करें. (९)
O agni! You are immortal and we humans are moribund. Let's praise each other. (9)