ऋग्वेद (मंडल 1)
नि ष्वा॑पया मिथू॒दृशा॑ स॒स्तामबु॑ध्यमाने । आ तू न॑ इन्द्र शंसय॒ गोष्वश्वे॑षु शु॒भ्रिषु॑ स॒हस्रे॑षु तुवीमघ ॥ (३)
तुम परस्पर मिलकर देखने वाली यमदूतियों को भली-भांति सुला दो. वे सदा बेहोश रहें, कभी न जागें. हे अनंत धनशाली इंद्र! हमें सुंदर और अगणित गायों तथा अश्वों द्वारा उत्तम धनवान् बनाओ. (३)
Put the yamadoots who see each other to sleep well. They should always be unconscious, never wake up. O infinite rich Indra! Make us rich with beautiful and countless cows and horses. (3)