ऋग्वेद (मंडल 1)
इन्द्रा या॑हि॒ तूतु॑जान॒ उप॒ ब्रह्मा॑णि हरिवः । सु॒ते द॑धिष्व न॒श्चनः॑ ॥ (६)
हे अश्व के स्वामी इंद्र! तुम हमारी प्रार्थना सुनने के लिए शीघ्र आओ और सोमरस से युक्त इस यज्ञ में हमारा अन्न स्वीकार करो. (६)
O Lord of the hosre indra! Come soon to hear our prayers and accept our food in this yajna containing somras. (6)