हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.3.9

मंडल 1 → सूक्त 3 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 3
विश्वे॑ दे॒वासो॑ अ॒स्रिध॒ एहि॑मायासो अ॒द्रुहः॑ । मेधं॑ जुषन्त॒ वह्न॑यः ॥ (९)
विश्वेदेवगण नाशरहित, विस्तृत बुद्धि वाले तथा वैर से हीन हैं. वे इस यज्ञ में पधारें. (९)
Vishwadevas are non-perishable, with wide intellect and are free from enmity. They come to this yagna. (9)