हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.31.11

मंडल 1 → सूक्त 31 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 31
त्वाम॑ग्ने प्रथ॒ममा॒युमा॒यवे॑ दे॒वा अ॑कृण्व॒न्नहु॑षस्य वि॒श्पति॑म् । इळा॑मकृण्व॒न्मनु॑षस्य॒ शास॑नीं पि॒तुर्यत्पु॒त्रो मम॑कस्य॒ जाय॑ते ॥ (११)
हे अग्नि! तुम्हें देवों ने प्राचीन काल में मनुष्य रूपधारी नहुष व मानव शरीर वाला सेनापति बनाया था. जिस समय तुमने मेरे पिता अंगिरा ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था, उसी समय देवों ने इला को मनु की धर्मोपदेशकर््री बनाया. (११)
O agni! You were made by the gods in ancient times as a general of man-like nahaush and a general with a human body. At the time when you were born as the son of my father, the sage Angira, the devas made Ila the sermon of Manu. (11)