ऋग्वेद (मंडल 1)
यद्यू॒यं पृ॑श्निमातरो॒ मर्ता॑सः॒ स्यात॑न । स्तो॒ता वो॑ अ॒मृतः॑ स्यात् ॥ (४)
हे पृश्नि नामक धेनु के पुत्र मरुद्गण! यद्यपि तुम मरणधर्मा हो, पर तुम्हारी स्तुति करने वाला अमर होगा. (४)
O Marudgana, son of a bride named Prishani! Though you are mortal, the one praising you will be immortal. (4)