हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.4.5

मंडल 1 → सूक्त 4 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 4
उ॒त ब्रु॑वन्तु नो॒ निदो॒ निर॒न्यत॑श्चिदारत । दधा॑ना॒ इन्द्र॒ इद्दुवः॑ ॥ (५)
सदा इंद्र की सेवा करने वाले हमारे पुरोहित इंद्र की स्तुति करें. इंद्र की निंदा करने वाले लोग इस देश के अतिरिक्त अन्य देशों से भी निकल जावें. (५)
Our priest always serves Indra and Praise Indra. Those who condemn Indra, should also leave from other countries besides this country. (5)