ऋग्वेद (मंडल 1)
आ तत्ते॑ दस्र मन्तुमः॒ पूष॒न्नवो॑ वृणीमहे । येन॑ पि॒तॄनचो॑दयः ॥ (५)
हे ज्ञानसंपन्न एवं शत्रुनाशक पूषा! तुमने जिस रक्षाशक्ति से अंगिरा आदि पूर्वजों को प्रेरित किया था, हम तुम्हारी उसी शक्ति की प्रार्थना करते हैं. (५)
O god of wisdom and enemies! We pray for the same power of defence with which you inspired the ancestors of Angira etc. (5)