हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.44.8

मंडल 1 → सूक्त 44 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
स॒वि॒तार॑मु॒षस॑म॒श्विना॒ भग॑म॒ग्निं व्यु॑ष्टिषु॒ क्षपः॑ । कण्वा॑सस्त्वा सु॒तसो॑मास इन्धते हव्य॒वाहं॑ स्वध्वर ॥ (८)
हे शोभन यज्ञ से युक्त अग्नि! निशा समाप्ति के पश्चात्‌ प्रभात होने पर सविता, उषा, अश्विनीकुमार, भग आदि को यज्ञ में ले आओ. सोमरस निचोड़ने वाले मेधावी ऋत्विजू तुम्हें प्रचंड करते हैं. (८)
O agni with shobhan yajna! After the end of Nisha, bring Savita, Usha, Ashwinikumar, Bhag, etc. to the yagna when it is morning. The meekly ritviju who squeezes the somras makes you furious. (8)