हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.45.9

मंडल 1 → सूक्त 45 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 45
प्रा॒त॒र्याव्णः॑ सहस्कृत सोम॒पेया॑य सन्त्य । इ॒हाद्य दैव्यं॒ जनं॑ ब॒र्हिरा सा॑दया वसो ॥ (९)
हे काष्ठबल द्वारा मथित, फलदाता एवं निवास हेतु अग्नि! इस देवयज्ञ में आज प्रातःकाल आने वाले देवों एवं उनसे संबंधित अन्य जनों को सोमपान के लिए कुशों पर बुलाओ. (९)
O agni for the lord, the fruit-giver and the abode by the wooden power! In this devyagna, call the gods and other people related to them to the Kushas for sompan today. (9)