ऋग्वेद (मंडल 1)
अक्षि॑तोतिः सनेदि॒मं वाज॒मिन्द्रः॑ सह॒स्रिण॑म् । यस्मि॒न्विश्वा॑नि॒ पौंस्या॑ ॥ (९)
रक्षा में सदा तत्पर रहने वाले इंद्र इस हजार संख्या वाले सोम रूपी अन्न को ग्रहण करें. इसी में समस्त शक्तियां रहती हैं. (९)
Indra, who is always ready in defence, should receive this thousand number of Som-like food. In it all the powers reside. (9)