हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.6.7

मंडल 1 → सूक्त 6 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 6
इन्द्रे॑ण॒ सं हि दृक्ष॑से संजग्मा॒नो अबि॑भ्युषा । म॒न्दू स॑मा॒नव॑र्चसा ॥ (७)
हे मरुद्गण! भयरहित इंद्र के साथ तुम्हारी बहुत घनिष्ठता देखी जाती है. तुम दोनों नित्य प्रसन्न और समान तेज वाले हो. (७)
O host of yagna! You are seen to have a lot of intimacy with the fearless Indra. You are both constantly happy and equally glorious. (7)