हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.72.6

मंडल 1 → सूक्त 72 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 72
त्रिः स॒प्त यद्गुह्या॑नि॒ त्वे इत्प॒दावि॑द॒न्निहि॑ता य॒ज्ञिया॑सः । तेभी॑ रक्षन्ते अ॒मृतं॑ स॒जोषाः॑ प॒शूञ्च॑ स्था॒तॄञ्च॒रथं॑ च पाहि ॥ (६)
हे अग्नि! यजमानों ने तुम्हारे भीतर छिपे हुए इक्कीस तत्त्वों को जाना. जानकर वे उन्हीं से तुम्हारी रक्षा करते हैं. तुम यजमानों के प्रति उतना प्रेम रखते हुए उनके पशुओं एवं स्थावर-जंगम धन की रक्षा करो. (६)
O agni! Hosts have known the twenty-one elements hidden within you. Knowing that they protect you from them. You must love the hosts so much and protect their animals and real-movable wealth. (6)