ऋग्वेद (मंडल 1)
वि पृक्षो॑ अग्ने म॒घवा॑नो अश्यु॒र्वि सू॒रयो॒ दद॑तो॒ विश्व॒मायुः॑ । स॒नेम॒ वाजं॑ समि॒थेष्व॒र्यो भा॒गं दे॒वेषु॒ श्रव॑से॒ दधा॑नाः ॥ (५)
हे अग्नि! हविरूप धन से युक्त यजमान अन्न प्राप्त करें एवं तुम्हारी स्तुति करने वाले तथा हवि देने वाले विद्वान् संपूर्ण जीवन प्राप्त करें. हम संग्राम में शत्रु के अन्न पर अधिकार करने के पश्चात् यश के लिए देवों को हवि का भाग दें. (५)
O agni! Get the host food with wealth and the scholars who praise you and give you the whole life. We, after taking possession of the enemy's food in the battle, give the gods a share of the havi for the sake of success. (5)