हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.102.1

मंडल 10 → सूक्त 102 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 102
प्र ते॒ रथं॑ मिथू॒कृत॒मिन्द्रो॑ऽवतु धृष्णु॒या । अ॒स्मिन्ना॒जौ पु॑रुहूत श्र॒वाय्ये॑ धनभ॒क्षेषु॑ नोऽव ॥ (१)
हे मुदगल! युद्ध में असहाय बने हुए तुम्हारे रथ की शक्तिशाली इंद्र रक्षा करें. हे बहुतों द्वारा बुलाए गए इंद्र! इस प्रसिद्ध युद्ध में धन की कामना करने वाले हम लोगों की रक्षा करो. (१)
O Mudgal! Protect your chariot, which is helpless in battle, the mighty Indra. O Indra called by many! Protect us who wish for wealth in this famous war. (1)