हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.103.13

मंडल 10 → सूक्त 103 → श्लोक 13 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 103
प्रेता॒ जय॑ता नर॒ इन्द्रो॑ वः॒ शर्म॑ यच्छतु । उ॒ग्रा वः॑ सन्तु बा॒हवो॑ऽनाधृ॒ष्या यथास॑थ ॥ (१३)
हे मानवो! आगे बढ़ो और विजयी बनो. इंद्र तुम्हें कल्याण प्रदान करें. तुम लोग जैसे अधृष्य हो, वैसी ही शक्तिशालिनी तुम्हारी भुजाएं हों. (१३)
Oh, humans! Go ahead and be victorious. Indra grant you welfare. Just as you are inferior, so are your arms of power. (13)