ऋग्वेद (मंडल 10)
दे॒वा ए॒तस्या॑मवदन्त॒ पूर्वे॑ सप्तऋ॒षय॒स्तप॑से॒ ये नि॑षे॒दुः । भी॒मा जा॒या ब्रा॑ह्म॒णस्योप॑नीता दु॒र्धां द॑धाति पर॒मे व्यो॑मन् ॥ (४)
देवों एवं तपस्या के लिए बैठे हुए सप्तऋषियों ने इस पत्नी की पवित्रता के विषय में कहा है. बृहस्पति द्वारा विवाहिता यह नारी शुद्ध चरित्र वाली है. तप का प्रभाव बुरे पदार्थ को भी आकाश में पहुंचा देता है. (४)
The Saptarishis, who are sitting for gods and tapasya, have spoken about the purity of this wife. Married by Jupiter, this woman has a pure character. The effect of tapasya also brings bad matter to the sky. (4)