हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.111.8

मंडल 10 → सूक्त 111 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 111
दू॒रं किल॑ प्रथ॒मा ज॑ग्मुरासा॒मिन्द्र॑स्य॒ याः प्र॑स॒वे स॒स्रुरापः॑ । क्व॑ स्वि॒दग्रं॒ क्व॑ बु॒ध्न आ॑सा॒मापो॒ मध्यं॒ क्व॑ वो नू॒नमन्तः॑ ॥ (८)
इंद्र की आज्ञा से पहली बार जो जल बहा था, वह बहुत दूर गया. उस जल का अग्रभाग एवं मस्तक कहां है? हे जलो! तुम्हारा मध्य भाग कहां है? (८)
The water that was shed for the first time by Indra's command went very far. Where is the head and head of that water? O burn! Where's your middle part? (8)