ऋग्वेद (मंडल 10)
यः प्रा॑ण॒तो नि॑मिष॒तो म॑हि॒त्वैक॒ इद्राजा॒ जग॑तो ब॒भूव॑ । य ईशे॑ अ॒स्य द्वि॒पद॒श्चतु॑ष्पदः॒ कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥ (३)
जो अपने महत्त्व से सांस लेने वाले, पलक झपकाने वाले एवं गतिशील प्राणियों के एकमात्र राजा हुए हैं, जो दो पैरों वाले मानवों एवं चार पैरों वाले पशुओं के स्वामी हैं, उन्हीं प्रजापति की पूजा हम हव्य द्वारा करें. (३)
We should worship the same Prajapati, who has been the only king of breathing, blinking and moving beings, who is the master of two-legged humans and four-legged animals. (3)