हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.121.4

मंडल 10 → सूक्त 121 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 121
यस्ये॒मे हि॒मव॑न्तो महि॒त्वा यस्य॑ समु॒द्रं र॒सया॑ स॒हाहुः । यस्ये॒माः प्र॒दिशो॒ यस्य॑ बा॒हू कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥ (४)
जिसकी महिमा से ये हिम वाले पर्वत उत्पन्न हुए हैं एवं यह सागर सहित धरती जिसकी कही जाती है, ये सब दिशाएं जिसकी भुजाएं हैं, हम उन्हीं प्रजापति की हव्य द्वारा पूजा करें. (४)
From whose glory these snowy mountains have been born and it is the earth, including the sea, which is called, all these directions which have sides, let us worship the same Prajapati by means of the havan. (4)