ऋग्वेद (मंडल 10)
अ॒न्तरि॑क्षेण पतति॒ विश्वा॑ रू॒पाव॒चाक॑शत् । मुनि॑र्दे॒वस्य॑देवस्य॒ सौकृ॑त्याय॒ सखा॑ हि॒तः ॥ (४)
मुनि आकाश में उड़ते हैं एवं सारे रूपों को देखते हैं. देवों के प्रियमित्र मुनि उत्तम कार्य करने के लिए ही जीते हैं. (४)
The sages fly in the sky and see all the forms. Muni, the beloved of the gods, lives only to do good deeds. (4)