हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.151.4

मंडल 10 → सूक्त 151 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 151
श्र॒द्धां दे॒वा यज॑माना वा॒युगो॑पा॒ उपा॑सते । श्र॒द्धां हृ॑द॒य्य१॒॑याकू॑त्या श्र॒द्धया॑ विन्दते॒ वसु॑ ॥ (४)
वायु द्वारा सुरक्षित देव एवं यजमान श्रद्धा की उपासना करते हैं. लोग मन के संकल्प के कारण श्रद्धा की सेवा करते हैं एवं श्रद्धा के कारण धन पाते हैं. (४)
The gods and the host who are protected by the wind worship reverence. People serve reverence because of the determination of the mind and get wealth because of reverence. (4)