ऋग्वेद (मंडल 10)
मेह॑नाद्वनं॒कर॑णा॒ल्लोम॑भ्यस्ते न॒खेभ्यः॑ । यक्ष्मं॒ सर्व॑स्मादा॒त्मन॒स्तमि॒दं वि वृ॑हामि ते ॥ (५)
हे रोगी! मैं तुम्हारी मूत्रेद्रिय, बालों, नाखूनों आदि शरीर के सभी भागों से यक्ष्मा रोग को बाहर निकालता हूं. (५)
Oh patient! I remove tuberculosis from all parts of your body such as urinary bladder, hair, nails, etc. (5)