हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.163.6

मंडल 10 → सूक्त 163 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 163
अङ्गा॑दङ्गा॒ल्लोम्नो॑लोम्नो जा॒तं पर्व॑णिपर्वणि । यक्ष्मं॒ सर्व॑स्मादा॒त्मन॒स्तमि॒दं वि वृ॑हामि ते ॥ (६)
हे रोगी! मैं तुम्हारे प्रत्येक अंग, प्रत्येक रोम, प्रत्येक जोड़ एवं अंग के किसी भी भाग में स्थित रोग को बाहर निकालता हूं. (६)
Oh patient! I bring out the disease in each of your organs, every follicle, every joint and any part of your limbs. (6)