ऋग्वेद (मंडल 10)
अङ्गा॑दङ्गा॒ल्लोम्नो॑लोम्नो जा॒तं पर्व॑णिपर्वणि । यक्ष्मं॒ सर्व॑स्मादा॒त्मन॒स्तमि॒दं वि वृ॑हामि ते ॥ (६)
हे रोगी! मैं तुम्हारे प्रत्येक अंग, प्रत्येक रोम, प्रत्येक जोड़ एवं अंग के किसी भी भाग में स्थित रोग को बाहर निकालता हूं. (६)
Oh patient! I bring out the disease in each of your organs, every follicle, every joint and any part of your limbs. (6)