हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.17.11

मंडल 10 → सूक्त 17 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 17
द्र॒प्सश्च॑स्कन्द प्रथ॒माँ अनु॒ द्यूनि॒मं च॒ योनि॒मनु॒ यश्च॒ पूर्वः॑ । स॒मा॒नं योनि॒मनु॑ सं॒चर॑न्तं द्र॒प्सं जु॑हो॒म्यनु॑ स॒प्त होत्राः॑ ॥ (११)
निचुड़ता हुआ सोमरस पार्थिव एवं द्युलोक को लक्ष्य करके बहता है. हम सात होता इस स्थान पर और इसके आधार पूर्व स्थान पर विचरण करने वाले सोम का हवन करते हैं. (११)
The squeezing Somerus flows aiming at the earthly and the deulok. We perform havan of Som, who roams at this place and at its base east. (11)