ऋग्वेद (मंडल 10)
उत्ति॑ष्ठ॒ताव॑ पश्य॒तेन्द्र॑स्य भा॒गमृ॒त्विय॑म् । यदि॑ श्रा॒तो जु॒होत॑न॒ यद्यश्रा॑तो मम॒त्तन॑ ॥ (१)
हे ऋत्विजो! उठो एवं इंद्र के ऋतु अनुकूल भाग के लिए प्रयत्न करो. इंद्र का भाग यदि पक चुका है तो उसका होम करो और यदि वह नहीं पका है तो उसे पकाओ. (१)
Hey Ritvijo! Get up and try for the season-friendly part of Indra. If Indra's part is cooked, then do his home and if it is not cooked, cook it. (1)
ऋग्वेद (मंडल 10)
श्रा॒तं ह॒विरो ष्वि॑न्द्र॒ प्र या॑हि ज॒गाम॒ सूरो॒ अध्व॑नो॒ विम॑ध्यम् । परि॑ त्वासते नि॒धिभिः॒ सखा॑यः कुल॒पा न व्रा॒जप॑तिं॒ चर॑न्तम् ॥ (२)
हे इंद्र! हव्य का पाक हो चुका है. तुम हमारे पास आओ. सूर्य अपने मार्ग के मध्य में पहुंच चुके हैं. वंश के रक्षक पुत्र जिस प्रकार इधर-उधर घूमते हुए गृहपति की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार अनेक सखा यज्ञ की सामग्री लेकर तुम्हारी उपासना करते हैं. (२)
O Indra! Havya's pak has been done. You come to us. The sun has reached the middle of its path. Just as the protector sons of the dynasty roam around to protect the householder, so many sakhas worship you with the contents of the yajna. (2)
ऋग्वेद (मंडल 10)
श्रा॒तं म॑न्य॒ ऊध॑नि श्रा॒तम॒ग्नौ सुश्रा॑तं मन्ये॒ तदृ॒तं नवी॑यः । माध्यं॑दिनस्य॒ सव॑नस्य द॒ध्नः पिबे॑न्द्र वज्रिन्पुरुकृज्जुषा॒णः ॥ (३)
गाय के थन में यह दुग्धरूप हवि सबसे पहले पकता है, हम लोग ऐसा मानते हैं. अग्नि में पककर वह अति पवित्र एवं नवीन बनता है, यह हमारा विचार है. हे वज्रधारी एवं अधिक धनदान करने वाले इंद्र! माध्यंदिन सवन नामक यज्ञ के उस दूध को तुम पिओ. (३)
In the cow's trunk, this milk form is the first to ripen, we believe so. It is our idea that by cooking in the agni, it becomes very sacred and new. O Indra, who is a thunderbolt and a jeweler! Drink that milk of the yajna called The Median sawan. (3)