ऋग्वेद (मंडल 10)
अ॒यं यो वज्रः॑ पुरु॒धा विवृ॑त्तो॒ऽवः सूर्य॑स्य बृह॒तः पुरी॑षात् । श्रव॒ इदे॒ना प॒रो अ॒न्यद॑स्ति॒ तद॑व्य॒थी ज॑रि॒माण॑स्तरन्ति ॥ (२१)
यह इंद्र का वज्र महान् सूर्य मंडल के नीचे वाले भाग से वर्षा के लिए गिरता है. इसके अतिरिक्त अन्य भी स्थान हैं. स्तोता बिना किसी श्रम के उन स्थानों को पार कर जाते हैं. (२१)
This thunderbolt of Indra falls for rain from the lower part of the Great Sun Circle. In addition there are other places. The stotas cross those places without any labor. (21)