ऋग्वेद (मंडल 10)
कस्ते॒ मद॑ इन्द्र॒ रन्त्यो॑ भू॒द्दुरो॒ गिरो॑ अ॒भ्यु१॒॑ग्रो वि धा॑व । कद्वाहो॑ अ॒र्वागुप॑ मा मनी॒षा आ त्वा॑ शक्यामुप॒मं राधो॒ अन्नैः॑ ॥ (३)
हे इंद्र! कौन सा नशा तुम्हें सबसे अधिक प्रसन्न करता है? हे शक्तिशाली इंद्र! हमारे स्तुतिवचन सुनकर तुम यज्ञशाला के द्वार की ओर दीड़ो. तुम्हारी स्तुति के द्वारा मैं कब उत्तम वाहन प्राप्त करूंगा एवं कब अन्नों के साथ धन अपनी ओर खींच सकूंगा. (३)
O Indra! Which intoxication makes you the happiest? O mighty Indra! On hearing our praises, you walk towards the gate of the yajnashala. When will I receive the best vehicle by your praise and when will I be able to draw wealth towards me with the grains? (3)