हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.33.9

मंडल 10 → सूक्त 33 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 33
न दे॒वाना॒मति॑ व्र॒तं श॒तात्मा॑ च॒न जी॑वति । तथा॑ यु॒जा वि वा॑वृते ॥ (९)
सौ आत्माओं वाला व्यक्ति भी देवों की मर्यादा लांघकर जीवित नहीं रह सकता. इसी कारण साथियों से हमारा वियोग होता है. (९)
Not even a person with a hundred souls can live by upholding the dignity of the gods. That's why we are disconnected from our peers. (9)