ऋग्वेद (मंडल 10)
यत्ते॑ समु॒द्रम॑र्ण॒वं मनो॑ ज॒गाम॑ दूर॒कम् । तत्त॒ आ व॑र्तयामसी॒ह क्षया॑य जी॒वसे॑ ॥ (५)
तुम्हारा जो मन जल से भरे हुए दूरवर्ती समुद्र के पास गया है, उसे हम वापस लौटाते हैं. तुम इस संसार में निवास करने के लिए जीते हो. (५)
We return your mind that has gone to the distant sea filled with water. You live to inhabit this world. (5)