हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.66.7

मंडल 10 → सूक्त 66 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 66
अ॒ग्नीषोमा॒ वृष॑णा॒ वाज॑सातये पुरुप्रश॒स्ता वृष॑णा॒ उप॑ ब्रुवे । यावी॑जि॒रे वृष॑णो देवय॒ज्यया॒ ता नः॒ शर्म॑ त्रि॒वरू॑थं॒ वि यं॑सतः ॥ (७)
अभीष्टदाता एवं बहुतों द्वारा प्रशंसित अग्नि व सोम की स्तुति मैं अन्न पाने के लिए करता हूं. ऋत्विज्‌ यज्ञ में हव्यों द्वारा उनकी पूजा करते हैं. वे हमें तीन मंजिल वाला मकान दें. (७)
I praise agni and som, the wisher and admired by many, to get food. They worship them through the havyas in the Ritwij yajna. They give us a three-story house. (7)