हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.69.6

मंडल 10 → सूक्त 69 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 69
सम॒ज्र्या॑ पर्व॒त्या॒३॒॑ वसू॑नि॒ दासा॑ वृ॒त्राण्यार्या॑ जिगेथ । शूर॑ इव धृ॒ष्णुश्च्यव॑नो॒ जना॑नां॒ त्वम॑ग्ने पृतना॒यूँर॒भि ष्याः॑ ॥ (६)
हे अग्नि! तुमने मानवहितकारी एवं पर्वत पर उत्पन्न धन को दासों से जीत कर आर्यों को दिया. तुम शूर के समान शत्रुजनों के पराभवकारी एवं नाशक बनो तथा आक्रमणकारियों से भिड़ जाओ. (६)
O agni! You have conquered the human benefits and the wealth created on the mountain from the dasas and gave it to the Aryans. Be the losers and destroyers of your enemies like the knights and take on the invaders. (6)