हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.7.6

मंडल 10 → सूक्त 7 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 7
स्व॒यं य॑जस्व दि॒वि दे॑व दे॒वान्किं ते॒ पाकः॑ कृणव॒दप्र॑चेताः । यथाय॑ज ऋ॒तुभि॑र्देव दे॒वाने॒वा य॑जस्व त॒न्वं॑ सुजात ॥ (६)
हे दीप्तिशाली अग्नि! तुम द्युलोक में रहने वाले देवों का यज्ञ करो. कच्ची बुद्धि वाले और ज्ञानरहित लोग तुम्हारे बिना क्या कर सकेंगे? हे शोभन जन्म वाले अग्नि! तुमने जिस प्रकार समयसमय पर देवों के यज्ञ किए हैं, उसी प्रकार अपना भी यज्ञ करो. (६)
O glorious agni! You perform the yajna of the gods living in Dulok. What can people with raw intelligence and without knowledge do without you? O agni of glory born! Just as you have performed the yagnas of the gods from time to time, so do your own yajna. (6)