हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.70.11

मंडल 10 → सूक्त 70 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 70
आग्ने॑ वह॒ वरु॑णमि॒ष्टये॑ न॒ इन्द्रं॑ दि॒वो म॒रुतो॑ अ॒न्तरि॑क्षात् । सीद॑न्तु ब॒र्हिर्विश्व॒ आ यज॑त्राः॒ स्वाहा॑ दे॒वा अ॒मृता॑ मादयन्ताम् ॥ (११)
हे अग्नि! तुम हमारे यज्ञ के निमित्त वरुण, इंद्र एवं मित्र को अंतरिक्ष से ले आओ. यज्ञ के पात्र देवगण कुशों पर बैठे. मरणरहित देव स्वाहा शब्द से प्रसन्न हों. (११)
O agni! You bring Varuna, Indra and a friend from space for the sake of our yajna. The characters of the yajna sat on the devagan kushas. Be pleased with the word 'God Swaha', a deadly god. (11)